अक्ल बड़ी या भैंस
उपायेन हि यच्छक्यं न तच्छक्यं पराक्रमैः
अर्थात
अर्थ:उपाय द्वारा जो काम हो जाता है वह पराक्रम से नहीं हो पाता।
अक्ल बड़ी या भैंस जिसका अर्थ होता है- कि शारीरिक शक्ति या शारीरिक आकार से ज़्यादा मानसिक शक्ति, यानी बुद्धि या ज्ञान, महत्वपूर्ण होता है अर्थात जब कोई व्यक्ति केवल अपनी शारीरिक ताकत पर घमंड करता है या किसी समस्या को हल करने के लिए बल का प्रयोग करना चाहता है, जबकि बुद्धि से वही काम ज़्यादा आसानी और कुशलता से हो सकता है।
यह पंचतंत्र के प्रथम तंत्र मित्रभेद की तीसरी कहानी हैं, जो दमनक के द्वारा करकट को सुनाई जाती है, जब संजीवक वैल और पिंगलक शेर के बीच गहरी मित्रता हो जाती है तो पिंगलक दमनक-करकट को महत्व देना बंद कर देता है जिससे दमनक अब संजीवक और पिंगलक की मित्रता भंग करवाना चाहता है तो करकट दमनक से पूछता है कि तुम ये काम कैसे करोगे क्योकि शेर तो बलशाली है उसे पता लगा तो वह हम दोनों को मार देगा तब दमनक कहता है कि जो काम बुद्धि से हो सकता है वो बल से नहीं हो सकता तब वह उसे कौवा और सांप की कहानी सुनाता है कि कैसे उन्होंने बुद्धि के बल से सांप को हराया जो इस प्रकार है -
एक स्थान पर वटवृक्ष की एक बड़ी खोल में एक कौवा-कौवी रहते थे। उसी खोल के पास एक काला साँप भी रहता था। वह साँप कौवी के नन्हे-नन्हे बच्चों को उनके पंख से निकलने से पहले खा जाता था। दोनों इससे बहुत दुखी थे। अंत में दोनों ने अपनी दुःख-भरी कथा उस वृक्ष के नीचे रहने वाले एक गीदड़ को सुनाई, और उससे यह भी पूछा कि अब क्या किया जाये। साँप वाले घर में रहना प्राणघातक है।
गीदड़ ने कहा- इसका उपाय चतुराई से ही हो सकता है। शत्रु पर उपाय द्वारा विजय पाना अधिक आसान है। एक बार बगुला बहुत-सी उत्तम, मध्यम, अधम मछलियों को खाकर प्रलोभवश एक केकड़े के हाथों उपाय से ही मारा गया था।
दोनों ने पूछा- कैसे?
तब गीदड़ ने कहा-सुनो: