रश्मिरथी - परिचय
रामधारी सिंह दिनकर द्वारा कृत कविता रश्मिरथी एक अद्धभुत कला का उदाहरण है, जिसमे कवी ने महारभारत के वीर योद्धा कर्ण का जीवन चरित्र सुनहरे अक्षरों से पिरोया है, और इसको पढ़ने से जो वीर रस का अनुभव होता वो अपने आप में अद्धभुत है।
रश्मिरथी के बारे में :
रश्मिरथी जिसका अर्थ है, वह व्यक्ति जिसका रथ सूर्य की किरणों का हो और इस काव्य में कर्ण को रश्मिरथी कहा गया हैं क्योंकि कर्ण के मुख पर सूर्य के सामान तेज था और उसके पास जन्म से ही सूर्य के द्वारा दिए गए कवच और कुण्डल थे।
रश्मिरथी की रचना कवी ने 16 फरवरी 1950 को आरम्भ की और 1952 में यह प्रकाशित हुई। रश्मिरथी में 7 सर्ग हैं जो कर्ण के जीवन का सजीव चित्रण करते हैं और जब आप इसे पढ़ना आरम्भ करते हैं तो आपको लगेगा की आप कर्ण के युग में पहुँच गए है और वो पूरा दृश्य आपके सामने हैं और इसे पढ़ने के बाद आपको अपने देश पर, अपनी जन्मभूमि पर गर्भ होगा जहाँ कर्ण जैसा वीर योध्या, एक सच्चा मित्र और दिनकर जैसे कवी ने जन्म लिया कि जहाँ एक वीर योद्धा और मित्र हुआ वही एक ने उसे अपनी कलम से हमेशा के लिए अमर बना दिया जिसे पढ़कर आने वाली पीढ़िया सही मार्ग का अनुसरण कर सके और सही गलत में भेद समझ सके।
हमारे प्रिये हिन्दीभाषियो आपका स्वागत हैं, हमारे इस पेज पर आने के लिए हमने रश्मिरथी के सभी 7 सर्ग लिखे हुए हैं जिन्हे आप हमारी इसी वेबसाइट पर पढ़ सकते हैं और यदि आपको कविताओं से प्रेम हैं तो रश्मिरथी अवश्य पढ़े क्योकि ऐसी कविता आपको और कहीं नहीं मिलेगी जिसमे कवी ने इतना सुन्दर वर्णन किया हो - धन्यवाद प्रिये पाठकों, हिंदीभाषियों और हमारे विद्यार्थियों।