Vaidikalaya

परिचय

हल्दीघाटी - कौन परिचित नहीं हैं इस नाम से और इसमें हुए अपार रक्तपात से, जब भी हल्दीघाटी का नाम आता है तो हमारे सामने बस एक ही नाम होता है महाराणा प्रताप का और उनकी वीरता का जो ना कभी झुके और ना हि हारे जितना भी जिए स्वाभिमान से जिए और स्वाभिमान से मृत्यु को गले लगा लिया और उनकी इसी अखंड वीरता को कवि ने कविता के रूप में पिरोया है, कवि ने राणा की वीरता और युद्ध में हुए रक्तपात का जो दृश्य प्रस्तुत किया है, वो अंतरात्मा को झकझोर देता है और अंत तक पहुंचते-2 आंसू आना स्वाभाविक हो जाता है, जिसे आप चाह कर भी रोक नहीं सकते हैं।


कवि श्याम नारायण पाण्डेय ने जब इस काव्य संग्रह को अपने कलम की श्याही दी तो इसके प्रकाशित होते हि इसका मिलना मुश्किल हो जाता था, इसने इतनी लोकप्रियता हासिल की थी और हो भी क्यों न, क्योंकि इसकी पंक्तियों का जो भी स्वाद चखेगा वो इसके प्रेम से अछूता कहा रह जायेगा


तो हे मेरे हिन्दीभाषियों आप भी इसका स्वाद चखे और आपने अंदर वीर रस की एक लहर का अनुभव करें क्योंकि vaidikalaya ने आपके लिए इसके सभी सर्ग लिखे हैं तो आप इससे अनजान क्यों रहे। इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका बहुत-2 धन्यवाद। जय भारत - जय हिंदीभाषी